जिनके दामन मे दौलत नहीं ग़म होते हैं--@ KAVI DEEPAK SHARMA

जिनके दामन मे दौलत नहीं ग़म होते हैं
उन मुसाफ़िरों के हमसफ़र कम होते हैं
.
उसूलों की
यहाँ जो भी
बात करता
है  
उसके लम्हे -हयात जल्दी खत्म होते हैं .
बेवफ़ाओं की राह में फूलों की बारिश 
वफ़ादारों पे पत्थरों के करम होते हैं .
अब शहर देखकर ही हवाएं चला करती हैं 
इंसान की तरह होशियार मौसम होते हैं .
उनसे हर वक़्त ख़ुदा भी ख़फ़ा रहता है 
लाख़ जिनपे पहले ही से सितम होते हैं 
घर में मौत और जश्न का माहौल या रब 
जबकि ग़ैरों के दर पर मातम होते हैं .
और ज़्यादा की आरज़ू में , खो गई आबरू 
ख़ुद पे शर्मसार "दीपक" लोग कम होते हैं



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